एक पेड से अलग हो कर
दूसरे पेड़ पर कलम की गयी
डाल की भाँती झूल रहा हूँ.... झूल रहा हूँ
धुन्द धुन्द चहु ओर
छाई है
धुन्द् के बिच में
भूल रहा हूँ ...भूल रहा हूँ
दूरदराज की
झुग्गियों के बीच
दीवार टेक कर
धुधले फानूस के
प्रकाश में
पुस्तकें भी कुछ पढ़ी थी मैं ने
सूत का चरखा फेरते फेरते
पन्ने भी कुछ पलटे थे मैं ने
जाड़े की सिहरन भरी रात को
रबर के टायर जला के हम ने
बातों के कई ढेर साथ में जला दिए थे
धूल में खेले गोटी
धूल में गुल्ली
डंडे खेले थे
साथ में जिनके
वही दोस्त अब वामन लगते
चाली के नुक्कड़ पर अब मैं
टोली के बीच मिल नहीं पाता.
राणीप के एक बंगले के
कमरे में –
रीडिंग रुम में
तोल्स्तोय और दोस्तोवस्की
मेरे इर्दगिर्द चकराते रहते
कभी कभार जाऊं चाली में तो
रुआब दिखता
सलाम सब की ओरसे मिलती
पीठ पीछे सब कहते ; देखो
इन सालों को दलित कहेंगें कैसे ?
क्या अधिकार है इन लोगों को
दलित की बातें करने का ?
ये तो साले
बड़े बडे से मकानवाले
बाइक स्कूटर गाड़ीवाले
बड़े हो गए
लटकमटक के चलनेवाली
फेशन कितनी करनेवाली
जोरु के घरवाले हो गए
बुनकर से कुछ वखारिया और
कुछ कुछ तो सुतरिया हो गये
चमार से अब चक्रवर्ती और
तूरी में से तीरकर हो गये
कोई बन गया अमीन,दलाल
कुछ कुछ लोग तो बैंकर बन गए
यह भी कुछ कम नहीं बेटमजी
गणपत में से साहिल हो गए
निर्लज्ज होकर
दलित प्रश्न पर
भौंकते हैं ये
उपन्यास या कविता लिखते
कवि बनकर
नारें लगाये फिरते हैं ये
बम्बई जाकर
मिठाईमेवा चरते हैं ये
ये तो भोथर चमडीवाले
खुटल साले
जरूरत हो तो
मगरको आँसू बेचनेवाले
निर्लज्ज साले
हैरत और दुःख
दोनों से मन भर जाता मेरा
उस तरफ भी
पटेल-पंडया-सोनी-महेता
नए साल पर एकदूजे को
करें निमंत्रित
मुझे निमंत्रण रूखासूखा
ना आये तो अच्छा
मन में उनके भाव छुपा ये
कितना भी सुधरा हो लेकिन
चमार आखिर .... !
उस को कैसे घर ले जावें ?
दफ्तर में कौमुदी-रीटा
राधागौरी वीणा केतकी
मुझ से दूरकी दूर ही रहतीं
एक तो उस में धन्धेवाली
डबल भावसे ऑफर की
फ़िर भी सोचे है
चमारके क्या .........
व्यभिचार भी ऊँचा नीचा
वाह ! मनिये तेरी माया
करसन तेरा कामण
फ्लेट किराये पर ना देते
मकान उनके बीच
खरीदने जाए
नहीं मिल पाता
अपनापन हम
कहाँसे पाए ?
सुधर गए तो कहेंगे ये
ये तो साले दलित नहीं
गर सुधरे ना
तो वो कहते
चमार साले सुधरे नहीं
सुधरे बिना तो चारा नहीं
सुधर गए फ़िर भी न अपनाते.
ताने मिलते दोनों ओर से
यहाँ वहाँ बस झूलते रहना
दोनों के बीच लटकते रहेना
दोनों के बीच पिसते रहना
आगे कुआं पीछे आग
बीच में अंधा भागमभाग
पर कहाँ ?
खबर है किस को ?
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