Monday, February 19, 2018

प्रबुध्ध चेतनासे























तू ने सत्याग्रह किये
पर किसी के सामने
ज़िद कर के
इन्हें दुराग्रह में
पलटने नहीं दिया
यह तेरी महानता है बाबा
मार खाते पशु में से
तू ने  इन्सान बनाए हैं आज
और अब वही इन्सान
हाथ में छूरे लेकर खड़े
हत्यारों को
कलम के जरिए
इन्सान बनाने प्रयत्नशील है तब
हे सूटधारी संत,
तेरी महिमा
उस में करुणा बन के प्रकट हो.

तू ने वन्दनाएं की
पर किसी के सामने
शाक्यपति,यशोधरा गौत्तम
या राजा की धून रखकर
इन्हें याचना में पलटने नहीं दिया
यह तेरी महानता है,बाबा
सदीयों से बेहद बोज उठाकर
झुकी हुई गुलाम रीढ़ में
आज तू ने पैदा की है द्रढ़ता .
उसे तोडने का
एक भी मौका
नहीं चुकनेवाले
आरामतलबों को
कर्मयोग सिखाने के लिए
वह स्थिर होने प्रयत्नशील है तब
हे सूटधारी संत
तेरी महिमा
उस में मुदिता बनकर प्रकट हो.

धम्मपथ पर चलते हुए
तू ने कभी किसी के कंधे पर
नहीं रखा हाथ
या ब्रह्मचर्य की कसौटी की खातीर
निर्वस्त्र हो
तू सोया नहीं किसी के साथ
यह तेरी महानता है,बाबा
पायल ने जकड़े हुए पाँव में
तू ने पैदा की है
चारदीवारी लाँघने की गतिशीलता
और चूडियों ने बांधे हुए हाथ में
तू ने पैदा की है आठ आसमान उड्ने की आकांक्षा
उसे फिरसे कैद में जकड़ने प्रयत्नशील
हौवाखोरों की हैवानियत के खिलाफ़
वह खलबला  रही है तब
हे सूटधारी संत
तेरी महिमा उस में
मैत्री बनके प्रकट हो.

त्याग की जयघोष करने
तू ने नहीं पहनी पोतडी
या न ही बहाया अपना खेस
साबर के जलमें
यह तेरी महानता है,बाबा
इन्सान आज
चाट में पड़े रूपयों को चाटने
घुडकी करता
नाखून भरता
काट्नेको आमादा
कुत्ता बना है तब
हे सूटधारी संत
तेरी महिमा
उस में त्याग बन के प्रकट हो.

पीड़ा की धार को
उपवास बना के
तू ने अपने आप के खिलाफ़ नहीं ताका
या क्रोध की धार को
बम बना के
तू ने किसी के खिलाफ़ इस्तेमाल नहीं किया
यह तेरी महानता है,बाबा
आज पीडा का सागर उमडा है
और क्रोध का कोलाहल व्याप्त है तब
हे सूटधारी संत
रोज रोज किसी को जलाते हुए
या आत्मविलोपन में जलते हुए
मन में
तेरी महिमा
प्रज्ञा बन के प्रकट हो.

टिप्पणी : सात नवंबर उन्नीससौ नब्बे के रोज वी.पी.सिंह ने अपने ऐतिहासिक वक्तव्य के बाद प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया उस से पहले के पिछड़ी जातियों के आरक्षण के अमल के खिलाफ़ बिनदलित छात्रों ने किये हुए आत्मविलोपन -सेल्फ इमोलेशन- के  कालखंड में,मंदिर-मांडल को ले कर आलोड़ित वातावरण में लिखी गयी है यह कविता. 

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