तन्हाइयाँ तन्हाइयाँ तन्हाइयाँ हैं
यह चौदवें अक्षर से सब रुस्वाइयाँ हैं
कैसा बिछाया ज़ाल तू ने अय मनु कि
हम ही नहीं पापी यहाँ परछाइयाँ हैं
हम छोड़ ना सकते ना घुलमिल भी सके हैं
दोनों तरफ़ महसूस उन्हें कठिनाइयाँ हैं
कोई हमारी आह् को सुन क्या सकेगा
बजतीं यहाँ चारों तरफ शहनाईयां हैं
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