Monday, February 19, 2018

वी वील फाईट




उन बदचलन लोगों के
चालचलन अभी भी नहीं बदले हैं
मेरे मसिहा के जन्मदिन को
वे लोग
बाबरी ध्वस्त कर के
काले रंग से  रंग डालते हैं
और मनाते हैं
अपने खूनी विजयोत्सव.

जिन के पुरखे
अंत्यज स्कूल में
पाँव धरते भी
अपवित्र हो जाते थे
उन के ही वंशज
मेरे बाप को
अक्षर से अवगत करनेवाले
मुल्लां या पादरी की संतानों को
ज़िंदा जला देते हैं.
एक साथ
सब से लड्ने की
ताकत नहीं है उन लोगों की
इसलिए
विश्व विभाजनवादी परिषद की
कूटनीति के वे निष्णात
अलग अलग कर के
हमें
एक दूसरे से लड़ाकर
एक के बाद एक
 मारते हैं.

प्राइवेटाइझेशन की पवन
डोला रही है उन के मस्तक,
तरोताझा कर रही है
उन की नसोंमें खौलते
अहमग्रस्त लहू को ,
मिल रही है उन्हें
परमिट
आरक्षण के दंगें किये बिना ही
शांतिपूर्ण ढंग से
उन की पीढ़ियों के दरवाजे
मेरे लिए बंद कर देने की.

व्यापार शुरू किया है उन्हों ने
व्यापार.
हल जोतते जोतते
स्कूल के मालिक बने कुछ तो
जाहिराना कहते हैं ;
‘शिक्षा तो हमारे बाप का खेत.
उदार हैं इसलिए  
पड़ा रहने देते हैं थोड़ा.
उस में से चोर खाए
 मवेशी खाए
मोर खाए
चाँद भी खाए
और बचाखुचा चकोर भी खाए.’
सरस्वती की शुभ्रता का खुले आम
होता है हरण
कोम्प्युटर के कलपुर्जों द्वारा
नवरचना के गाये जाते हैं गीत
और सरस्वती की सफेदी का
वस्त्राहरण होता है
मेरी प्रार्थना
पैरों तले कुचली जाती है
पैरों तले रोंदी जाती है
हर जगह
पंजा हमें थप्पड़ मारे
गेरुआ भेदभरम से भरमाए
चक्र के टुकड़े टुकड़े
तितरबितर हो जाए
भाई लोग
हम कहाँ पर जाये ?
मुझे कवि को तो वे
करना चाहे चुप
पर ऐसा मौक़ा कहाँ से आए ?
इसलिए
अधिकार दिन पर मैं करता हूँ बकवास
वे लोग मुझे
सिरफिरा करार देंगे
मेरे अपराध ढूँढ कर
पुलिस द्वारा मरवाएंगे  डंडे
या कर देंगे कैद
या कर देंगे नौकरीनिकाल की सजा
और फोड़ देंगे पेट
और इस तरह
किसी भी तरीके से
छिनना चाहेंगे तेजाबी कलम
पर मेरी रूह में  मिली है
रेगिस्तान के शेर
उमर मुख्तार की रूह.
आनेवाले कल को
मेरी बेटी ही
उठा लेगी मेरे चश्में
और मेरी कलम
और वह  भी कहेगी ;
‘टू फाईट अगेइंस्ट  डिस्क्रिमिनेशन
इस अवर राईट.
वी वील फाइट.
वी वील फाईट
अप टू नेक्ष्ट
एंड नेक्ष्ट
एंड नेक्ष्ट जनरेशन.’



 भाजपाने ६ दिसम्बर को ‘विजय दिन’ और दलित अधिकार संघ ने ‘अधिकार दिन’ मनाया,तब लिखी गई थी यह कविता.




१.सौजन्य ; ‘लायन ऑफ डेजर्ट ; उमर मुख्तार ‘ नाम की इंग्लिश फिल्म की स्मृति.उमर मुख्तार के देश पर
फिरंगी आक्रमण करते हैं.उम्रर मुख्तार गेरिला लड़ाई के जरिए मुकाबला करता है.समजौता करने बुला कर फिरंगी
उसे कैद करते हैं और उसे चौराहे पर फांसी की सजा फरमाते हैं.सलीब पर चढ़ने से पहले उम्रर  मुख्तार अपनी ऐनक
बाजू पर रखता है और कहता है ; ‘वी वील फाइट.वी वील फाईट अप टू नेक्ष्ट एंड नेक्ष्ट एंड नेक्ष्ट जनरेशन,’और फांसी पर चढ़ जाता है. एक लड़का आगे आकर उन की ऐनक उठा लेता है.इस प्रतीकात्मक अंत के साथ फिल्म खत्म होती है.



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