Monday, February 19, 2018

रिश्ते की धूपछाँव




तू एक बड़ा शहर है,जानम
मैं छोटा सा गाँव
मर्सीडीज़ की तेज दौड तू
मैं हूँ बंधे पाँव
देक्ख रहा हूँ रिश्ते की धूपछाँव.

मैं हूँ सस्ती महज गरीबी
तू है महंगी बड़ी करीबी
सागर जैसा दिल तेरा है
मैं छोटी सी नाँव
देख रहा हूँ रिश्ते की धूपछाँव.

भरे बदन पे शीतल चाँद का चमकीला तू रूप
तर पसीने से चेहरा हूँ मैं ज्यों बैशाखी धूप
नज़र मिलाते डर लागै कि
नज़र में तेरी पड़ जाये ना
मैल के गहरे घांव
देख रहा हूँ रिश्ते की धूप छांव

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