मेरी दीवानगी का चर्चा है ठीक मगर,
थोड़े मदहोश तो हो जाओ,कोई बात बने.
सहमते और सिकुडते गुजर गयीं पीढियाँ,
खुद बादल हो फ़ैल जाओ,कोई बात बने.
तुम्हारे साथ ही जुड़ी है जमीं की खुश्बू,
फूल की भांति बिखर जाओ,कोई बात बने.
छूना तो ठीक है,सीने से लगा लेंगे वो,
नगमा बन के भीतर जाओ,कोई बात बने.
ढेर सा डर है,झिझक भी है,झुझलाहट पर,
सितम के सामने हो जाओ,कोई बात बने.
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