Monday, February 19, 2018

नया एक नाम दो




नया एक नाम दो
तुम
मुझे एक नाम दो

गुमराही ने घेर लिया था
गर्दिश में था खोया
गलियों से मैं बिछड़ के यारा
चैन से फिर ना सोया
पाँव सम्हलने लगे हैं मुझ को
तुम नया अंज़ाम दो.
मुझे एक नाम दो.

आम लोगों के आँसू-पीड़ा
और उन के ज़ज्बात
प्यार जमीं का भूल के मैं ने
कहाँ लगाईं आस?
लाल खून की स्याही भर दूँ
फिर
वही पैगाम दो.
तुम
मुझे एक नाम दो.

कोई था बम्मन कोई था बनिया
कोई हरिजन जात
इन्किलाब के ख्वाब ने कैसे
एक किये थे हाथ
नई नस्ल को जोड़ दूँ ऐसे
तुम
वही ईमान दो.
तुम
मुझे एक नाम दो,
नया एक नाम दो.

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